तस्वीरें

पहले की तस्वीरें कुछ ऐसी थी

जो कभी भी बिन बताए, बिन मांगे,

बिना ढूँढे ही सामने आ जाती थी,

और खोल देती थी मन के उलझे तार,

याद आ जाते पुराने पल, और उनमें भरा सारा प्यार ।


पहले की तस्वीरें कुछ ऐसी थी,

कभी पर्स में, कभी कोई दराज़ में सामान ढूँढते हुए,

कुछ किताबों के पन्नो के बीच में ,

कुछ छिपी हुई अलमारी में कपड़ों के नीचे,

यादों की बारात लेकर,

मन को मुस्कुराहट दे जाती थी,

अचानक से आकर दिन बना जाती थी । 


नई तस्वीरें कुछ अलग है,

हैं पर काली स्क्रीन के पीछे छिपी हैं,

जो बस ढूँढने पर मिलती हैं,

उन्हें देखने के लिए तारीख़ ढूँढनी पड़ती है,

उन्हें छूकर महसूस नहीं कर पाते,

नई तस्वीरें अपने आसान होने का गर्व बड़ा जताती हैं,

उनको शेयर करने की apps हमारे मन को बड़ा सताती हैं,

हमारे कितने सारे पल बस तस्वीरें लेने में गुज़र से जाते हैं,

और यह नई तस्वीरें ,

फिर से कभी खोलकर देखना भी मुश्किल सा हो जाता है ।


पहले की तस्वीरें कुछ ऐसी थी, बहुत ख़ास थी,

कुछ अटैची में बिखरी हुई,

या फिर एल्बम में सजी हुई,

एक बचपन का पिटारा बना कर रखी होती थी,

की छुट्टियों में सब साथ बैठकर देखेंगे,

पहले की तस्वीरें कुछ खास थी,

कुछ तस्वीरें सामने दीवारों पर लगी फ्रेम्स में,

या कुछ बिस्तर की साइड टेबल पर,

यह वह हैं जो हमेशा हमारे सामने रहती हैं,

अकेले ना होने का एहसास करती हैं,

पुरानी यादें और खुशियों में नई जान ले आती हैं, 

मन करते ही बस ठहर के उन्हें निहार लो,

खुश हो जाएगा, मन जैसा भी हो,

पुरानी तस्वीरें खास थी, 

सबके मन के बहुत पास थी,

सबको जोड़ने वाली, यादों को पिरोने वाली उनमें बात थी, 

पहले की तस्वीरें कुछ ऐसी थी ।