इस तेज बदलती दुनिया में
कैसे हम अपने आप को
बदलते देखे,
या ना बदलने की कोशिश में
अपनी सही जगह ढूंढने की ख्वाहिश में
कैसे हम अपने आप को
गुज़रते समय के साथ ठहरता देखे |
कुछ बदलाव ज़रूरी भी महसूस होते
और कुछ ज़रूरत से ज़्यादा भी माँग लेते हम अपने आप से
दुनिया और ख़ुद के बीच की इस कश्मकश में
कहीं मन की करने और ना करने की असमंजस में
कैसे हम अपने आप को एक राह पर चलता देखे
कोई आगे सीधे जाने वाला रास्ता
कुछ दायें बाएं या पीछे की गालियाँ
या अपने लिए एक नई राह बनाने वाला हौसला
कैसे हम अपने आप को
अनगिनत चुनौतियों में एक को चुनता देखे ।
सब कहते कोई कदम सही कोई ग़लत नहीं
जो तुम्हें सही लगे उस समय पर है वह सबसे सही
पर मन तो चंचलता की ज़िद में खो जाता है
एक पसंद नहीं उसको सब कुछ करना भाता है
पर कोई बात नहीं
बस अपने आप को हर एक वह मौका दो,
अपने मन को हर अधिकार दो
जो चाहे उसे पाने का एक इशारा दो
ताकि फिर अपने आप को
अपने मन और कर्म पर शक करते ना देखे
ज़िन्दगी के इन पलों को फिर गर्व से याद करता देखे ।
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