जीवन, एक सफर

कितनी अजीब सी बात है 

दुख अपना सबसे बड़ा लगे 

और सुख अपने सिवा सबका ज़्यादा दिखे 


हमारी ख़ुशियाँ मामूली सी लगे

किसी और की ख़ुशियाँ अनोखी सी लगे

क्या है तू इंसान

इतना सोचता ही क्यों है

दूसरों से अपने आप को आंकता ही क्यों है

तू है अलग, तू है अनोखा 

तेरे जैसा ना कोई और दूजा

तूने अपनी मेहनत से सींची है जो यह ज़िंदगी

तेरा जीवन, तेरी कहानी भी है अनूठी 

तू जहाँ खड़ा है इस वक़्त

कभी तूने भी यह सपना देखा था

यह ख़ुशियाँ जो अभी तुझे साधारण सी लगती

एक समय इन्हें पाने को तूने अपना लक्ष्य समझा था |


तूने कई कठिन रास्ते भी नापे हैं

दुख के पहाड़ भी पार हो जाएँगे

हर किसी की राहें अलग है

कहीं उचे पहाड़ कहीं गहरा समुद्र है

तू बस रख हिम्मत और हौसला 

यह सफर भी है तेरे जैसा अनोखा 

किसी और से नहीं, अपने आप से कर मुकाबला

अपने आप को पहचान, 

ख़ुद के सपनों से कर बात,

क्यूंकि यह जीवन जीत हार या सुख दुख से नहीं

यह सब तो बस सफर के बीच के पड़ाव हैं 

असल में तो सिर्फ़ इतनी सी बात है ,

कि अंतर्मन की ख़ुशी और संतुष्टि ही जीवन का सार है ।


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