क्या करना है, क्या कहना है

क्या करना है, 
क्या कहना है,
करना बहुत कुछ है, 
मगर कहने से डरना है,
कुछ अच्छा करके कितना कहना है,
या कुछ गलती हो जाए तो कितना चुप रहना है,
सब कुछ कहना, सब कुछ करना है,
बस चुप नहीं रहना है,
सही होंगे तो बनेंगे मिसाल,
गलत होंगे तो समझेंगे दुनिया से, बदलेंगे अपने विचार ।

क्या करना है,
क्या कहना है,
या फिर जो मन को सही लगता,
लेकिन दुनिया को नहीं,
क्या वह नहीं करना है ?
कहने या चुप रहने के डर से,
या कौन क्या सोचेगा, 
सही गलत सबकी नजर से,
क्या यह सोचकर कुछ नहीं करना है ?
या सब कुछ करके, सब कुछ कहना है ।

कांच सा पारदर्शी बनना है,
बदलाव का उदाहरण बनना है,
समझना समझाना है सभी को,
जो लगता सही, 
कुछ नया करने की जरूरत है कहीं,
कठिन होगा समय, 
जब कुछ या बहुत लोग कहेंगे गलत,
ना होगा रास्ता आसान, 
पर मुश्किलों से ही तो बनेंगे हम सख्त,
अगर गलत हुए तो गिरेंगे, फिर ना उठ पाएंगे,
सही हुए तो गिर गिर कर भी उठ खड़े हो जाएंगे,
विश्वास है अगर खुद पे सही का,
तो सब कुछ पार कर बदलाव लाएंगे,
फिर ना कहने वाले भी वहां साथ खड़े पाएंगे,
प्रेरणा हो आने वाली पीढ़ियों को,
सच और बदलाव के लिए खड़े होने की,
सबको समझाके साथ लेके आगे बढ़ना है,
सब कुछ करना है , सब कुछ कहना है,
विचारों को प्रकट करना है, बस चुप नही रहना है ।

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