काश हमारा वक़्त उतना महँगा ना होता

पैसे कमाने

पहचान बनाने

घर से दूर जो हम चले आते 

बड़ी सी दुनिया में ख़ुद को छोटे से बड़ा बनाने आते 

अपने आप को यहाँ ढूँढते ढूँढते 

खो जाते हैं हम रोज़ अपने बारे में सोचते सोचते

बड़ा बनने की ख्वाहिश 

में पीछे रह जाती है छोटी छोटी ख़ुशियों की फ़रमाइश

काश हम उन्हें भी महसूस कर पाते

काश हम उतना ही दूर जाते

जहां से घर वापसी की महंगाई ना आंकते

काश हम इतने ही पैसे कमाते

कि अपनों के लिए वक्त बिताने के लिए वक्त बचा पाते


काश हम में से कुछ लोग फिर से घर जाते 

और उस छोटी सी दुनिया के लिए कुछ कर पाते

उसको बड़ा बनाने की कोशिश कर पाते

जहां अपनों के साथ रह पाते

और रिश्ते और वक्त को ना नापते

उन्हें अमूल्य समझ पाते


काश हमारा वक़्त उतना महँगा ना होता

कि किसी की मदद करने में दोबारा ना सोचता

कि फ़ोन छोड़कर इंसानों के साथ वक्त बिताने में संकोच ना करता

कि अपनी सेहत के लिए वक्त निकालने में आलास ना करता

काश हमारा वक्त उतना महँगा ना होता

कि ख़ुद के हाथ का खाना ईद के चाँद सा नसीब ना होता

कि दो पल सब्ज़ी वाले को मुस्कुराकर धन्यवाद करना भी आसान होता

कि दो पल किसी से ठहरके बात करना भी मामूली सा होता ।

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